दोहरा लेखा प्रणाली (Double Entry System)
व्यापार के प्रत्येक व्यापारिक लेन देन से दो पक्ष प्रभावित होते हैं| एक पक्ष पाने वाला होता है तथा दूसरा पक्ष देने वाला होता है, अत: प्रत्येक लेन देन का दोनों पक्षों में लेखा किया जाता है| यह दोहरा लेखा प्रणाली कही जाती हैI इस प्रणाली में कोई भी व्यापारिक सौदा तब तक पूर्ण नहीं माना जाता है जब तक कि दोनों पक्षों में समान राशि से एक दूसरे के विपरीत लेखे न हो जाएँ k
Example:-
Ravi द्वारा Kapil से रु. 1,000 प्राप्त किए जाते हैं। यह एक लेनदेन है। इस लेनदेन में Ravi द्वारा नकद प्राप्त किया गया है और Kapil ने यह नकद प्रदान किया है। इस तरह, यहाँ दो पक्ष है, Ravi
द्वारा नकद प्राप्त करना और Kapil
द्वारा भुगतान करना। कुछ निर्धारित नियमों के अनुसार इन पहलुओं में से एक डेबिट है और दूसरा क्रेडिट है ।
Accounting
Equation
|
Assets = Liabilities + Equity
जर्नल (Journal)
जर्नल शब्द को फ्रेंच भाषा के शब्द जो उर से व्युत्पन्न किया गया है, जिसका अर्थ डायरी होता है। जर्नल वस्तुत: मूल प्रविष्टी की वह बही होती है जिसमें व्यावसायिक लेनदेन (अथत्ति डेबिट और केडिट) के दोनों पहलुओं का प्राथमिक हिसाब उस क्रम में रिकॉर्ड किया जाता है जिसमें उसे सम्पन्न किया गया था अर्थात ऑर्डर दिनाकं के अनुसार रिकॉर्ड किया जाता है । जब कभी भी ट्रांजक्शन सम्पन्न किया जाता है तो उसे सीधे इस बहीं में दर्ज कर दिया जाता है और दोनों ही ट्रांजेक्शन के पहलुओं को सम्पन्न किए जाने के क्रम में व्यवस्थित रूप से दर्ज किया जाता है।
जर्नल को मूल हिसाब की बही अथवा प्राथमिक प्रविष्टी की बही के रूप में जाना जाता है क्योंकि सभी लेनदेन और घटनाओं को पहले इसी बही में दर्ज किया जाता है। जर्नल में लेनदेनो और घटनाओं को दर्ज किए जाने की प्रकिया जर्नलाइजिंग कहलाती है। जर्नल का स्वरूप नीचे दिए गए फॉर्मेट के अनुसार होता है ।
जर्नल को मूल हिसाब की बही अथवा प्राथमिक प्रविष्टी की बही के रूप में जाना जाता है क्योंकि सभी लेनदेन और घटनाओं को पहले इसी बही में दर्ज किया जाता है। जर्नल में लेनदेनो और घटनाओं को दर्ज किए जाने की प्रकिया जर्नलाइजिंग कहलाती है। जर्नल का स्वरूप नीचे दिए गए फॉर्मेट के अनुसार होता है ।
जर्नल फॉर्मेट में पाँच काँलम्स होते है ।
1. Date:- प्रथम कॉलम में दिनांक लिखी जाती है ।
2. Particular:- इस कॉलम में ट्रांजक्शन्स का विवरण दिया जाता है ।अर्थात लेनदेन के दोनों पक्षों डेबिट पक्ष और क्रेडिट पक्ष रिकॉर्ड किए जाते हैं ।
3. Ledger Folio number:-फोलियों का अर्थ है लेजर की पृष्ठ संख्या। सर्वप्रथम व्यावसायिक ट्रांजक्शन्स को जर्नल में दर्ज किया जाता है और बाद में इन्हें लेजर में पोस्ट कर दिया जाता है। इस कॉलम के अंतर्गत लेजर की वह पृष्ठ संख्या डाली जाती है जहाँ पर उस ट्रांजक्शन को रिकॉर्ड किया गया है।
4. Amount (Debit):- यह कॉलम खाते से डेबिट की जाने वाली उस राशि को रिकॉर्ड करता है जिसे डेबिट किया जा चुका है।
5. Amount (Credit):- इस कॉलम में खाते से क्रेडिट की जाने वाली उस राशि को रिकॉर्ड किया जाता है जिसे क्रेडिट किया जा चुका है।
1. Date:- प्रथम कॉलम में दिनांक लिखी जाती है ।
2. Particular:- इस कॉलम में ट्रांजक्शन्स का विवरण दिया जाता है ।अर्थात लेनदेन के दोनों पक्षों डेबिट पक्ष और क्रेडिट पक्ष रिकॉर्ड किए जाते हैं ।
3. Ledger Folio number:-फोलियों का अर्थ है लेजर की पृष्ठ संख्या। सर्वप्रथम व्यावसायिक ट्रांजक्शन्स को जर्नल में दर्ज किया जाता है और बाद में इन्हें लेजर में पोस्ट कर दिया जाता है। इस कॉलम के अंतर्गत लेजर की वह पृष्ठ संख्या डाली जाती है जहाँ पर उस ट्रांजक्शन को रिकॉर्ड किया गया है।
4. Amount (Debit):- यह कॉलम खाते से डेबिट की जाने वाली उस राशि को रिकॉर्ड करता है जिसे डेबिट किया जा चुका है।
5. Amount (Credit):- इस कॉलम में खाते से क्रेडिट की जाने वाली उस राशि को रिकॉर्ड किया जाता है जिसे क्रेडिट किया जा चुका है।